Third term of BJP government begins in Haryana

Editorial: हरियाणा में भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल का शुभारंभ

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Third term of BJP government begins in Haryana

Third term of BJP government begins in Haryana हरियाणा में इस बार की दिवाली उम्मीदों और आशाओं के ऐसे दीपकों को रोशन करते हुए मनाई जाएगी जब सर्वहित और सर्वकल्याण की भावना के साथ एक सरकार अगले पांच साल के लिए कर्तव्य भार ग्रहण करेगी। लगातार तीसरी बार भाजपा प्रदेश में सत्तासीन होने जा रही है और कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी के नाम पर चुनाव में उतरने और जीतने वाली पार्टी के निर्वाचित विधायकों ने उन्हें ही अपना नेता चुना है। यानी एक बार फिर नायब सैनी ही प्रदेश की बागडोर संभालने वाले हैं।

नायब सैनी विनम्र व्यक्तित्व के ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने प्रदेश में सीएम बदलने के बाद चुनिंदा दिनों में ही ऐसे निर्णायक फैसले लिए और कार्य कर दिखाए जिनकी गूंज विपक्ष के हर उस उलहाने और आरोप पर भारी पड़ी, जिसको उसने बार-बार जनता के समक्ष उछाला और भाजपा सरकार के फिर न लौटने की स्वघोषणा करते रहे। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में आरंभ से ही ऐसा माना जा रहा था कि मुकाबला बेहद कड़ा रहने वाला है। और अंतिम वक्त तक कांग्रेस जिस प्रकार से अपनी जीत का दावा करती रही, उसे भाजपा नेताओं ने सकारात्मक रहकर और चुनावी रणनीतियों को कारगर करके विपक्ष के जीत के दावों को उसकी हार में बदल दिया।

गौरतलब है कि 17 अक्तूबर को पंचकूला में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद मौजूद रहने वाले हैं। हरियाणा में भाजपा ने तीसरी बार जीत हासिल करके कुछ ऐसा ऐतिहासिक हासिल किया है, जिसकी गूंज हालिया वक्त तो क्या आगामी समय में भी कभी कमजोर नहीं पड़ने वाली है। इस चुनाव को भाजपा के शीर्ष नेताओं ने अपनी जीत-हार बना लिया था और प्रधानमंत्री मोदी ने तो तीन-चार बार प्रदेश का दौरा कर चुनावी रैलियों को संबोधित किया। हरियाणा के प्रति उनका विशेष लगाव है, क्योंकि भाजपा संगठन में रहते हुए उन्होंने प्रदेश में प्रभारी की भूमिका निभाई थी। वे हरियाणा के प्रत्येक क्षेत्र और उसकी रीति-नीति से भी वाकिफ हैं। यहां के लोगों के सामाजिक और राजनीतिक रुझान की भी उन्हें गहरी समझ है।

जाहिर है, तमाम वजह हैं, जिनको समेटते हुए भाजपा ने इस बार प्रदेश में कमल को खिलाया है। भाजपा के लिए यह जीत इतनी नाजुक है कि अगर उसने कहीं कोई कोताही छोड़ी होती तो आज संभव है कोई अन्य प्रदेश में शपथ ले रहा होता। अब महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। महाराष्ट्र में भाजपा ने बीते चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में शिवसेना ऊधव ठाकरे, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार को हटा कर बागियों के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में भाजपा ने नई सरकार बनाई। वहीं झारखंड में झामुमो की सरकार चल रही है।

भाजपा के लिए इन राज्यों में चुनाव जीतना भी बड़ी चुनौती है। बेशक, हरियाणा के नए संदर्भों में अब इन राज्यों में योजनाबद्ध होकर जीत हासिल करना पार्टी के लिए अहम रहेगा। बेशक, इन राज्यों के हालात हरियाणा की तुलना में काफी अलग हो सकते हैं। इन राज्यों के मतदाताओं की सोच भी अलग हो सकती है। झारखंड में मौजूदा सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी है, खुद मुख्यमंत्री जमानत पर बाहर हैं। भाजपा ने इससे पहले राज्य में सरकार का संचालन किया था, इस चुनाव में उसके समक्ष जनता के मन में जगह बनाने के लिए नए वादे और इरादे जाहिर करना आसान होगा। लेकिन झारखंड में विपक्ष का गठबंधन सामने आ सकता है और हरियाणा में जिस प्रकार से कहा गया है कि अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया होता तो संभव है, कांग्रेस को जीत हासिल होती। लेकिन फिर भी कैसी परिस्थितियां दोनों राज्यों में रहने वाली हैं, यह समय पर निर्भर करेगा।

हरियाणा में भाजपा की नई सरकार के समक्ष अनेक लक्ष्य हैं, जिनको पूरा करना उसका दायित्व होगा। कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शपथ लेने से पहले ही अपने आवास पर जनता से मिलना आरंभ कर दिया है जोकि उचित ही है। भाजपा ने खुद को जनसरोकार वाली पार्टी के रूप में स्थापित किया है। हरियाणा में विकास की तमाम संभावनाएं हैं। जिनके लिए सरकार को अपना एजेंडा तैयार करना होगा। प्रदेश में शहर से लेकर गांव तक ऐसी जरूरतें हैं जिनको पूरा किया जाना जरूरी है। अगर ऐसा हुआ तो हरियाणा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और तमाम अन्य जरूरतों के मामले में देश का नंबर वन राज्य बन जाएगा। 

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